Custom Search

Tuesday, November 20, 2007

हिन्दी संस्करण :"बुन्देली लोकगीत"

बिरछों की महिमा अपार,
सुनों री माई वसुन्धरे।
बिरछों को ऋणी संसार,
सुनों री माई वसुन्धरे।

कौन बनेहें मैया स्वच्छ पर्यावरण,
कौन करे उद्धार,
सुनों री माई वसुन्धरे।
बिरछों की महिमा अपार ................

सब मिल बनेहें भैया स्वच्छ पर्यावरण,
तबही हुए उद्धार,
सुनों री माई वसुन्धरे।
बिरछों की महिमा अपार..................

जल संकट से कौन उबारे,
कैसे हुए उद्धार,
सुनों री माई वसुन्धरे।
बिरछों की महिमा अपार ...................

जल संकट से वर्षा उबारे,
वृक्ष करें उद्धार,
सुनों री माई वसुन्धरे।
बिरछों की महिमा अपार .....................

वायु प्रदुषण कौन सुधारे,
स्वच्छ बनाए परिवार,
सुनों री माई वसुन्धरे।
बिरछों की महिमा अपार ........................

वायु शुद्ध कर, वृक्ष सुधारे,
तो वृक्ष लगाओ हजार।
सुनों री माई वसुन्धरे,
बिरछों की महिमा अपार,
करो वृक्ष लगाके श्रृंगार।
सुनों री माई वसुन्धरे।
....................+....................