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Sunday, October 21, 2007

हिन्दी संस्करण: "वसुंधरा की पुकार"

हरी भरी हो धरती, हरा भरा हो छोना,
वृक्षों का ऋणी है, धरती का कोना कोना।
हरी भरी हो धरती .......................

ऊंचे ऊंचे वृक्ष मनोहर,
प्रकृति की अनुपम हैं धरोहर।
वृक्ष बिना ये जीवन, लगता है बौना बौना।
हरी भरी हो धरती .........................

आओ आओ वृक्ष लगाएं,
धरती पर हरियाली लायें ।
वृक्ष अगर हों ढेरों,
वायु प्रदुषण हो न।
हरी भरी हो धरती .........................

Song 4: "Vasundhara ki pukar"

Hari bhari ho dharti, hara bhara ho chhona,
Vrakshon ka rini hai, dharti ka kona kona.

{chorus}
Hari bhari ho dharti .................

Oonche oonche vraksh manohar,
Prakriti ki anupam hain dharohar.
Vraksh bina ye jivan, lagata hai bauna bauna.

{chorus}
Hari bhari ho dharti ....................

Aao aao vraksh lagayen,
Dharti par hariyali layen.
Vraksh agar hon dheron, vayu pradushan ho na.

{chorus}
Hari bhari ho dharti, hara bhara ho chhona.

Friday, October 19, 2007

हिन्दी संस्करण: "जनजागरण गीत"

कभी प्रकृति की सेवा की ही नहीं ,
फिर सृष्टि में आने से क्या फायदा ।
कभी स्त्रोतों का संरक्षण किया ही नहीं ,
फिर मानव कहलाने से क्या फायदा .......

मैं तो तट पर गया , जल प्रदुषण देखा,
इस प्रदुषण को देखकर ख्याल आ गया।
जल की शुद्धि कभी हमने, की ही नहीं ,
जल योजना बनाने से क्या फायदा ।

कभी प्रकृति ...................................

मैं टहलने गया और धुएं को देखा,
इस प्रदुषण को देखकर ख्याल आ गया ,
कभी वायु की शुद्धि की ही नहीं,
फिर एसी लगाने से क्या फायदा ।

कभी प्रकृति की सेवा की ही नहीं ,
फिर सृष्टि में आने से क्या फायदा ..........

Song 3: "Janjagaran Geet"

Kabhi prakriti ki seva ki hi nahi,
Phir srishti mein aane se kya phayeda.
Kabhi stroton ka sanrakshan kiya hi nahi,
Phir manav kehlane se kya phayeda.

Main toh tat par gaya, jal pradushan dekha,
Iss pradushan ko dekh ke khayal aa gaya,
Jal ki shuddhi kabhi hamne ki hi nahi,
Jal yojana banane se kya phayeda.

{chorus}
Kabhi prakriti ..........................

Main tahalne gaya aur dhuain ko dekha,
Is pradushan ko dekh ke khayal aa gaya,
Kabhi vayu ki suddhi ki hi nahi,
Phir A.C. lagane se kya phayeda.

{chorus}
Kabhi prakriti ki seva ki hi nahi,
Phir srishti mein aane se kya phayeda.
Kabhi stroton ka sanrakshan kiya hi nahi,
Phir manav kehlane se kya phayeda.

Sunday, October 14, 2007

हिन्दी संस्करण: "पर्यावरण लोकगीत"

पर्यावरण की ठानी,
सुनो मैया वसुन्धरा भवानी ।
पर्यावरण कि ठानी.........

अब ना कबहुँ पेड़ कटेंहें,
एक के बदले दस लगवेंहें ।
संरक्षण की ठानी,
सुनो मैया वसुन्धरा भवानी ।

वायु प्रदुषण ना फेलेंहें,
उद्योगों को दूर लगेंहें ।
शुद्धिकरण की ठानी,
सुनो मैया वसुन्धरा भवानी ।

पर्यावरण की ठानी,
सुनो मैया वसुन्धरा भवानी ।

Saturday, October 13, 2007

हिन्दी संस्करण: "हरितवाहिनी"

वृक्षारोपण कार्य महान्, पर्यावरण में दो योगदान।
यह संकल्प हमारा है, ये ही अपना नारा है।
वृक्षारोपण कार्य महान् ------------------।।

नदियों में ना हो ये प्रदुषण, कहीँ ना हो जल संकट रे।
नदियों में ना हो ये प्रदुषण, कहीँ ना हो जल संकट रे।
जल के अपव्यय का हो निदान, वृक्षारोपण कार्य महान् ।
यह संकल्प हमारा है, ये ही अपना नारा है।
वृक्षारोपण कार्य महान्-------------------।।

कहीँ ना हो ये वायु प्रदुषण, हम ये बीड़ा उठायेंगे।
बिना बात ना हार्न बजायें, धुआं नही फेलायेंगे ।
वायु शुद्ध बनाना है, ढेरों पेड़ लगाना है।
वृक्षारोपण कार्य महान् ------------------।।

ऊंच नीच की तोड़ दीवारें, हर जन को सम्मान मिले।
भेद भाव की गिरा दीवारें, जीने का अधिकार मिले ।
मानसिक प्रदुषण मिटाना है, धर्म एकता लाना है।
वृक्षारोपण कार्य महान् ------------------।।