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Friday, October 19, 2007

हिन्दी संस्करण: "जनजागरण गीत"

कभी प्रकृति की सेवा की ही नहीं ,
फिर सृष्टि में आने से क्या फायदा ।
कभी स्त्रोतों का संरक्षण किया ही नहीं ,
फिर मानव कहलाने से क्या फायदा .......

मैं तो तट पर गया , जल प्रदुषण देखा,
इस प्रदुषण को देखकर ख्याल आ गया।
जल की शुद्धि कभी हमने, की ही नहीं ,
जल योजना बनाने से क्या फायदा ।

कभी प्रकृति ...................................

मैं टहलने गया और धुएं को देखा,
इस प्रदुषण को देखकर ख्याल आ गया ,
कभी वायु की शुद्धि की ही नहीं,
फिर एसी लगाने से क्या फायदा ।

कभी प्रकृति की सेवा की ही नहीं ,
फिर सृष्टि में आने से क्या फायदा ..........

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